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Paris Olympics: नीरज चोपड़ा पदक जीतने के प्रबल दावेदार, इन खिलाड़ियों से भी रहेगी उम्मीदें, जानें

Paris Olympics: नीरज चोपड़ा पदक जीतने के प्रबल दावेदार, इन खिलाड़ियों से भी रहेगी उम्मीदें, जानें

 


पेरिस ओलंपिक को शुरू होने में अब ज्यादा दिन शेष नहीं रह गया है और भारतीय एथलीटों ने इसके लिए अपनी तैयारियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। भारतीय दल ने टोक्यो ओलंपिक में दमदार प्रदर्शन किया था और एक स्वर्ण सहित कुल सात पदक जीते थे। भारत को एक बार फिर इन खिलाड़ियों से खेल के महाकुंभ कहे जाने वाले ओलंपिक खेलों में बेहतर प्रदर्शन करनी की उम्मीद रहेगी। 

पेरिस ओलंपिक का आयोजन 26 जुलाई से 11 अगस्त तक होगा और इसके लिए भारत 100 से अधिक खिलाड़ियों का दल भेजेगा। ओलंपिक से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को भारतीय खिलाड़ियों से चर्चा की थी। उन्होंने नीरज चोपड़ा, निकहत जरीन और पीवी सिंधू जैसे शीर्ष खिलाड़ियों से चर्चा की थी और उन्हें पेरिस खेलों के लिए शुभकामनाएं दी थी। भारत के लिए नीरज चोपड़ा पदक जीतने के प्रबल दावेदार हैं, लेकिन कुछ अन्य खिलाड़ी भी हैं जिनसे पेरिस में तिरंगा लहराने की उम्मीद रहेगी। आइए जानते हैं वो कौन-कौन से खिलाड़ी हैं जो पदक जीत सकते हैं। 

लगातार दूसरा स्वर्ण जीतना चाहेंगे नीरज 

विश्व चैंपियन भाला फेंक एथलीट नीरज चोपड़ा भारत की सबसे बड़ी पदक उम्मीद हैं। नीरज का प्रदर्शन टोक्यो के बाद संतुलित रहा है और उन्होंने अपने प्रदर्शन में सुधार लाने के लिए हर संभव प्रयास किया है। नीरज ने हाल ही में पावो नूरमी खेलों में स्वर्ण पदक जीता था जो यह दर्शाता है कि नीरज अच्छी लय में दिख रहे हैं। नीरज ने पिछले साल एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता था। नीरज हालांकि जांघ की मांसेशियों में खिंचाव से जूझ रहे हैं और इस कारण उन्होंने रविवार को होने वाले पेरिस डायमंड लीग में भी हिस्सा नहीं लिया था। नीरज अगर पेरिस ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने में सफल रहे तो वो ऐसा करने वाले पहले भारतीय होंगे।

पुरुष हॉकी टीम पदक का रंग बदलने के लिए बेकरार

भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रचा था। उस वक्त टीम ने लंबे अंतराल के बाद ओलंपिक खेलों में कोई पदक जीता था। इस बार टीम की नजरें पदक का रंग बदलने की होगी। भारत ने 1928, 1932, 1936, 1948, 1952, 1964, 1980 में ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीता था, जबकि उसने 1960 में रजत पदक और 1968, 1972 और 2020 खेलों में कांस्य पदक अपने नाम किया था। भारतीय पुरुष हॉकी टीम की कोशिश ओलंपिक में स्वर्ण का सूखा समाप्त करने पर टिकी होगी। पुरुष हॉकी टीम का पिछले कुछ वर्षों में प्रदर्शन सराहनीय रहा है और उसने हांगझू एशियाई खेलों में भी प्रभावित किया था।

 विवादों को पीछे छोड़कर प्रभाव छोड़ने उतरेंगी विनेश

पिछले कुछ वर्ष भारतीय पहलवानी के लिए अच्छे नहीं रहे हैं, लेकिन महिलाओं के वर्ग में विनेश फोगाट ओलंपिक में पदक जीतने की प्रबल दावेदार मानी जा रही हैं। टोक्यो ओलंपिक में रवि दहिया और बजरंग पूनिया ने क्रमशः रजत और कांस्य पदक अपने नाम किए थे। विनेश उन पहलवानों में शामिल थीं जिन्होंने भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ प्रदर्शन किया था। विनेश टोक्यो ओलंपिक के लिए भी गई थीं, लेकिन पदक अपने नाम करने में विफल रही थीं।

 पदक की हैट्रिक लगाने उतरेंगी पीवी सिंधू

भारत के चुनिंदा एथलीटों ने ही ओलंपिक में दो पदक जीते हैं और भारतीय महिला बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधू उनमे से एक हैं। सिंधू ने 2016 रियो ओलंपिक में रजत पदक जीता था, जबकि टोक्यो में कांस्य पदक अपने नाम करने में सफल रही थीं। सिंधू की नजरें ओलंपिक खेलों में पदक की हैट्रिक लगाने पर टिकी होंगी। अगर वह ऐसा करने में सफल रहीं तो भारत की सबसे सफल खिलाड़ी बन जाएंगे जिसने लगातार तीन ओलंपिक पदक जीते हैं। सिंधू का प्रदर्शन हाल के दिनों में ज्यादा बेहतर नहीं रहा है, लेकिन उम्मीद है कि वह पेरिस में तिरंगा फहराने में सफल रहेंगी। 

सात्विक-चिराग की जोड़ी से रहेंगी उम्मीदें

सात्विकसाईराज रेंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी की पुरुष डबल्स जोड़ी पिछले कुछ समय से शानदार फॉर्म में चल रही है और इन्होंने एक साथ कई सफलताएं हासिल की हैं। सात्विक-चिराग की जोड़ी ने पिछले साल एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा था और एक बार फिर उनसे ऐसे ही प्रदर्शन की उम्मीद रहेगी। सात्विक-चिराग की जोड़ी टोक्यो ओलंपिक में प्रभावित नहीं कर सकी थी।

 लवलीना-निकहत मुक्केबाजी में दिला सकते हैं सफलता

टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली महिला मुक्केबाज लवलीना बोरगोहाई तथा दो बार की विश्व चैंपियन निकहत जरीन पर मुक्केबाजी में भारत को पदक दिलाने का जिम्मा रहेगा। लवलीना ने टोक्यो में शानदार प्रदर्शन किया था, लेकिन वह स्वर्ण पदक से चूक गई थीं। लवलीना की कोशिश होगी कि इस बार वह अपने पदक के रंग को बदलें। वहीं, निकहत भी ओलंपिक जैसे बड़े मंच पर खुद को साबित करना चाहेंगी। फिलहाल निकहत जर्मनी में अभ्यास कर रही हैं।


 खेल पर्यवेक्षक:-  संजीव दत्ता

समन्वयक :-       सपना दत्ता

दूरभाष :- 9971999864

प्रायोजन के लिए /For sponsorship : khelkhiladi55@gmail.com 

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