
खेल कोटे से नियुक्त खिलाड़ियों के साथ हो रहे अन्याय पर विचार
भारतीय रेलवे खेल गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से विभिन्न खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों की नियुक्ति खेल कोटे के तहत करता है। यह न केवल खिलाड़ियों के करियर को सुरक्षित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि भारतीय रेलवे में खेलों के विकास को भी सुनिश्चित करता है।
हालांकि, हाल के दिनों में यह देखा गया है कि रेलवे अधिकारी इन खिलाड़ियों को खेल गतिविधियों में शामिल होने से रोक रहे हैं, भले ही राष्ट्रीय रेलवे खेल संघ (NRSA) द्वारा उनके लिए अनुमति पत्र जारी किया गया हो। अधिकारियों द्वारा खेल-कूद में संलग्न होने के अधिकार को बाधित करना न केवल एक गंभीर अन्याय है, बल्कि यह सरकार की खेल-प्रोत्साहन नीति के भी विरुद्ध है।
अधिकारियों द्वारा खेल खिलाड़ियों के करियर से खिलवाड़
यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ अधिकारी खिलाड़ियों को डराने-धमकाने और अनुचित कार्यों में लगाने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे उनकी खेल यात्रा बाधित हो रही है। यह न केवल खिलाड़ियों के सपनों पर कुठाराघात है, बल्कि रेलवे में खेलों के विकास को भी प्रभावित करता है।
खेल कोटे से नियुक्त खिलाड़ियों का प्राथमिक उद्देश्य भारतीय रेलवे के खेल मानकों को ऊंचा उठाना है, न कि उन्हें प्रशासनिक कार्यों में लगाया जाए। NRSA के आदेशों के बावजूद खिलाड़ियों को अभ्यास, प्रतियोगिताओं और खेल गतिविधियों के लिए समय पर नहीं छोड़ा जा रहा है। यह अधिकारियों की मानसिकता को दर्शाता है, जो सरकार की खेल नीति के विरुद्ध जाकर खिलाड़ियों का मनोबल गिराने का प्रयास कर रहे हैं।
सरकार की खेल नीति और अधिकारियों का अड़ियल रवैया
भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं का मुख्य उद्देश्य खेलों को बढ़ावा देना और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन करना है। ऐसे में रेलवे अधिकारियों द्वारा खिलाड़ियों को परेशान करना न केवल रेलवे की खेल नीति के विरुद्ध है, बल्कि यह राष्ट्रीय खेल नीति की भी अवहेलना है।
यह विषय विभिन्न मंचों पर उठाया गया और सहमति बनी कि NRSA के पत्र जारी होते ही खिलाड़ियों को तुरंत खेल गतिविधियों के लिए छोड़ दिया जाएगा। लेकिन इसके बावजूद अधिकारी अपनी मनमानी कर रहे हैं, जिससे रेलवे के खेल भविष्य पर संकट खड़ा हो रहा है।
निष्कर्ष और मांग
खेल कोटे से नियुक्त खिलाड़ियों को उनकी खेल गतिविधियों के लिए बिना किसी बाधा के समय पर छोड़ा जाए।
NRSA द्वारा जारी पत्र का सम्मान करते हुए खिलाड़ियों को खेल आयोजनों में भाग लेने की अनुमति दी जाए।
रेलवे अधिकारियों द्वारा खिलाड़ियों के उत्पीड़न को रोका जाए और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए।
सरकार और रेलवे बोर्ड को सुनिश्चित करना चाहिए कि खेल कोटे का उद्देश्य पूरा हो और खिलाड़ी बिना किसी डर के अपने खेल में आगे बढ़ सकें।
रेलवे के खिलाड़ियों को उनका हक मिलना चाहिए ताकि वे रेलवे और देश का नाम रोशन कर सकें।
खेल कर्मियों एवं रेल कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए अधिकारियों सांकेतिक विरोध , सोशल मीडिया पर कर्मचारियों को अपने विचार रखने चाहिए और अगर सांकेतिक विरोध से भी कोई सुधार नहीं होता तो गेट मीटिंग एवं धरना प्रदर्शन।
ReplyDeleteEk acche Khiladiyo ko technical, Elitrical dipartmeant na diya jaye Clerical line ya tt me Or usko time pe soair kiya jaye
ReplyDeleteसच में ही ऐसा हो रहा है ओर कर भी कौन रहा है,जो खुद एक अच्छे खिलाड़ी रह चुके , खिलाड़ी,जो अब एक ऑफिसर हैं
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