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भारतीय बॉक्सर्स के सामने कड़ी चुनौती, आसान नहीं होगा वर्ल्ड चैंपियनशिप का सफर

भारतीय बॉक्सर्स के सामने कड़ी चुनौती, आसान नहीं होगा वर्ल्ड चैंपियनशिप का सफर

 



लिवरपूल में पहली बार पुरुष और महिला मुक्केबाज़ी प्रतियोगिताएं एक साथ, दुनिया भर के दिग्गज मुक्केबाज़ देंगे टक्कर



लिवरपूल।

विश्व बॉक्सिंग के सबसे प्रतिष्ठित मंच पर एक बार फिर भारतीय मुक्केबाज़ उतरने को तैयार हैं। गुरुवार से लिवरपूल में शुरू हो रही वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में भारतीय दल बीते वर्षों की उपलब्धियों को दोहराने के साथ-साथ अपने प्रदर्शन में और निखार लाने की चुनौती के साथ रिंग में कदम रखेगा। मगर इस बार राह पहले से कहीं अधिक कठिन और प्रतिस्पर्धात्मक होगी।


इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट की खास बात यह है कि पहली बार पुरुषों और महिलाओं की विश्व मुक्केबाज़ी प्रतियोगिताएं एक साथ आयोजित की जा रही हैं, वह भी वर्ल्ड बॉक्सिंग के नए वैश्विक ढांचे के तहत। इसका मतलब है कि मुकाबलों का स्तर पहले से अधिक ऊँचा होगा और हर मुकाबला एक बड़े इम्तिहान की तरह होगा।


पिछले प्रदर्शन से मिली प्रेरणा, लेकिन हालिया चुनौतियाँ भी कम नहीं


भारत ने वर्ष 2023 की विमेंस वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में चार स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा था। वहीं पुरुष वर्ग में तीन कांस्य पदक भारतीय मुक्केबाज़ों के हिस्से आए थे। इन उपलब्धियों ने भारत को मुक्केबाज़ी के वैश्विक नक्शे पर मजबूती से स्थापित किया।

हालांकि, इसके बाद एशियाई खेलों और पेरिस ओलंपिक क्वालिफिकेशन में भारतीय मुक्केबाज़ों का प्रदर्शन अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं रहा, जिसने तैयारियों और रणनीति को लेकर कई सवाल खड़े किए।


अब वर्ल्ड चैंपियनशिप एक ऐसा मंच बन गया है, जहां भारतीय मुक्केबाज़ों को न केवल अपने आत्मविश्वास को फिर से मजबूत करना है, बल्कि वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अपनी श्रेष्ठता भी साबित करनी है।


550 मुक्केबाज़, 65 देश, और 17 ओलंपिक मेडलिस्ट — चुनौती विराट है


इस बार के टूर्नामेंट में 550 से अधिक मुक्केबाज़ भाग ले रहे हैं, जो 65 देशों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। इनमें 17 ओलंपिक पदक विजेता भी शामिल हैं। यह आंकड़े साफ़ दर्शाते हैं कि मुक़ाबला किस स्तर का होगा और भारतीय खिलाड़ियों को किस स्तर की तैयारी की ज़रूरत पड़ेगी।


निखत और लवलीना की वापसी पर टिकी निगाहें


भारतीय दल की सबसे बड़ी उम्मीदें एक बार फिर से निखत ज़रीन (51 किग्रा) और लवलीना बोरगोहेन (75 किग्रा) से होंगी, जो एक साल के लंबे अंतराल के बाद अंतरराष्ट्रीय सर्किट में वापसी कर रही हैं।

हालांकि इनकी तैयारी सीमित रही है और वरीयता न होने के चलते शुरुआती दौर में ही इनका सामना शीर्ष वरीय मुक्केबाज़ों से हो सकता है। बावजूद इसके, दोनों के पास अंतरराष्ट्रीय अनुभव और दबाव में खेलने की दक्षता है, जो उन्हें हर बार खास बनाती है।


अन्य भारतीय मुक्केबाज़ भी करेंगे दमदार चुनौती पेश


भारतीय महिला टीम में केवल निखत और लवलीना ही नहीं, बल्कि पूजा रानी, जैस्मीन लाम्बोरिया (57 किग्रा), साक्षी (54 किग्रा) और नुपुर श्योराण (80+ किग्रा) भी एक मजबूत दल का हिस्सा हैं। ये सभी मुक्केबाज़ तकनीक, ताकत और जुझारूपन के बल पर किसी भी विपक्षी को चुनौती देने में सक्षम हैं। इनकी सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि वे रिंग में रणनीतिक संतुलन, धैर्य और आक्रामकता को किस प्रकार संभालती हैं।


हर पंच होगा निर्णायक


इस बार का टूर्नामेंट केवल पदक की होड़ नहीं है, बल्कि यह ओलंपिक की तैयारी, वैश्विक रैंकिंग, और मानसिक मजबूती की परीक्षा भी है। हर मुक़ाबला एक ऐसी चुनौती होगी, जिसमें केवल शारीरिक ताकत ही नहीं, बल्कि मानसिक संतुलन और रणनीतिक चतुराई भी निर्णायक भूमिका निभाएंगे।


निष्कर्ष: मुक्केबाज़ी का असली संग्राम अब शुरू


भारतीय बॉक्सिंग के लिए यह वर्ल्ड चैंपियनशिप न सिर्फ़ एक टूर्नामेंट है, बल्कि आने वाले समय के लिए एक दिशा तय करने वाला मंच भी है। अगर भारतीय मुक्केबाज़ यहां सफल होते हैं, तो यह पेरिस ओलंपिक से पहले उनके लिए आत्मविश्वास का बड़ा स्रोत बन सकता है।


अब देखना यह है कि क्या हमारे मुक्केबाज़ इस वैश्विक रिंग में ताकत और तरक़ीब के संगम से विजय की पटकथा लिख पाएंगे, या फिर उन्हें और पसीना बहाना होगा।


खेल पर्यवेक्षक:-  संजीव दत्ता

समन्वयक :-       सपना दत्ता

दूरभाष :- 9971999864

प्रायोजन के लिए /For sponsorship : khelkhiladi55@gmail.com 

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